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कुंडली में तलाक के संकेत: जानिए ज्योतिष अनुसार विवाह टूटने के कारण और उपाय

कुंडली में तलाक के संकेत: जानिए ज्योतिष अनुसार विवाह टूटने के कारण और उपाय

✏️ Written by Pandit Amit Patel · Experience: 18 years · ★★★★★
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ज्योतिष के अनुसार तलाक या वैवाहिक अलगाव के संकेत: जानिए कौन से ग्रह दिखाते हैं विवाह में परेशानी

विवाह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण बंधन होता है, जो प्यार, विश्वास और समझ पर आधारित है। लेकिन कभी-कभी जीवन में ऐसे हालात बन जाते हैं जहाँ यह रिश्ता टूटने की कगार पर पहुँच जाता है। वैदिक ज्योतिष में कुछ ऐसे ग्रह योग और संकेत बताए गए हैं जो यह दर्शाते हैं कि व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक तनाव या तलाक की संभावना हो सकती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में ऐसे योग हैं या नहीं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी है।

वैदिक ज्योतिष में विवाह और तलाक का संबंध

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह से जुड़े मुख्य भाव होते हैं — सप्तम भाव (7वां घर), द्वितीय भाव और चतुर्थ भाव। सप्तम भाव हमारे जीवनसाथी और विवाह से जुड़ी खुशियों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि इस भाव या इससे संबंधित ग्रहों पर अशुभ प्रभाव पड़ता है, तो वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

सप्तम भाव के स्वामी ग्रह की स्थिति, शुक्र (Venus) और गुरु (Jupiter) की दशा, तथा राहु, केतु या शनि जैसे ग्रहों के प्रभाव से यह जाना जा सकता है कि वैवाहिक जीवन स्थिर रहेगा या नहीं। आइए जानते हैं ऐसे प्रमुख ज्योतिषीय संकेत जो विवाह में अस्थिरता या तलाक का योग बनाते हैं।

1. सप्तम भाव में अशुभ ग्रहों का प्रभाव

यदि जन्म कुंडली के सप्तम भाव में राहु, केतु, मंगल या शनि जैसे अशुभ ग्रह स्थित हों या इन ग्रहों की दृष्टि इस भाव पर पड़ रही हो, तो वैवाहिक संबंधों में विवाद, गलतफहमियाँ या भावनात्मक दूरी बढ़ सकती है। विशेष रूप से मंगल दोष (Mangal Dosha) विवाह में तनाव और तकरार की प्रमुख वजह बन सकता है।

2. शुक्र ग्रह की स्थिति कमजोर होना

शुक्र ग्रह प्रेम, आकर्षण और वैवाहिक सुख का कारक है। यदि शुक्र ग्रह नीच राशि में हो, शत्रु राशि में हो या राहु-केतु से पीड़ित हो, तो दांपत्य जीवन में असंतुलन आता है। इससे भावनात्मक जुड़ाव कमजोर पड़ सकता है और संबंध टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

3. सप्तम भाव का स्वामी ग्रह कमजोर या पीड़ित होना

सप्तम भाव के स्वामी ग्रह यदि छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हों या शत्रु ग्रहों से प्रभावित हों, तो यह विवाह के लिए नकारात्मक संकेत होते हैं। ऐसा व्यक्ति रिश्ते में स्थिरता नहीं रख पाता या जीवनसाथी से बार-बार मतभेद होते हैं।

4. राहु और केतु का प्रभाव

राहु और केतु वैवाहिक जीवन में भ्रम और अस्थिरता लाते हैं। राहु अक्सर व्यक्ति को भौतिक सुखों की ओर आकर्षित करता है और वैवाहिक जिम्मेदारियों से दूर कर देता है। वहीं, केतु का प्रभाव मानसिक दूरी और अलगाव की भावना बढ़ा सकता है। यदि ये दोनों ग्रह सप्तम भाव या शुक्र को प्रभावित करें, तो तलाक का योग बन सकता है।

5. दशा और महादशा का प्रभाव

कभी-कभी वैवाहिक समस्या स्थायी नहीं होती, बल्कि ग्रहों की दशा या महादशा के कारण अस्थायी तनाव उत्पन्न होता है। जैसे शनि, राहु या केतु की महादशा में संबंधों में गलतफहमियाँ और दूरी बढ़ सकती है। लेकिन जब शुभ ग्रहों की दशा शुरू होती है, तो स्थिति सुधर जाती है। इसलिए सही समाधान के लिए संपूर्ण कुंडली का विश्लेषण आवश्यक है।

6. चंद्रमा और मानसिक स्थिति

चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यदि चंद्रमा पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि है या यह नीच राशि में है, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से अस्थिर रहता है। यह अस्थिरता वैवाहिक संबंधों को कमजोर बना सकती है। इसीलिए मानसिक संतुलन विवाह की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

7. दूसरे विवाह के संकेत

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी अशुभ स्थिति में हो और साथ ही शुक्र या राहु से संबंधित ग्रह संयोजन बने हों, तो ऐसे योग दूसरे विवाह की संभावना को भी दर्शाते हैं। यह जरूरी नहीं कि हर बार ये संकेत तलाक का ही परिणाम दें, लेकिन ये वैवाहिक जीवन में बड़े परिवर्तन की ओर इशारा करते हैं।

ज्योतिषीय समाधान और उपाय

यदि आपकी कुंडली में तलाक या वैवाहिक तनाव के योग दिखाई देते हैं, तो चिंता की बात नहीं है। वैदिक ज्योतिष में इसके लिए कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं जैसे:

  • शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र पहनें और चावल का दान करें।
  • शनि दोष होने पर शनिवार को पीपल के पेड़ में तेल का दीपक जलाएँ।
  • मंगल दोष शांति के लिए हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
  • घर के उत्तर-पूर्व दिशा को हमेशा स्वच्छ और हल्का रखें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

सही उपाय तभी चुने जा सकते हैं जब आपकी जन्म कुंडली का सटीक विश्लेषण हो। इसके लिए आपको किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए।

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निष्कर्ष

तलाक या वैवाहिक तनाव जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक सीख है। ज्योतिष शास्त्र हमें यह समझने में मदद करता है कि किन ग्रहों या स्थितियों के कारण जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं और उनसे कैसे निपटा जा सकता है। यदि आप अपने जीवन की दिशा को समझना चाहते हैं और स्थिरता लाना चाहते हैं, तो Duastro की फ्री कुंडली रिपोर्ट आपके लिए एक सटीक शुरुआत साबित होगी।

ज्योतिष को मार्गदर्शक बनाकर और सकारात्मक सोच के साथ आप न केवल अपने रिश्तों को सुधार सकते हैं, बल्कि जीवन में नई रोशनी भी ला सकते हैं।

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