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वरधराजा पेरुमाल मंदिर: महत्व, पूजा विधि और यात्रा मार्गदर्शन

वरधराजा पेरुमाल मंदिर: महत्व, पूजा विधि और यात्रा मार्गदर्शन

✏️ Written by PhD. Meera Desai · Experience: 15 years · ★★★★★
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वरदराज पेरुमल मंदिर का इतिहास, महत्व, लाभ और पूजा विधि

भारत की धरती पर अनेकों प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं, जिनमें से एक अत्यंत प्रसिद्ध और पूजनीय मंदिर है — वरदराज पेरुमल मंदिर। यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है और भगवान विष्णु के ‘वरदराज’ स्वरूप को समर्पित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत मूल्यवान है।

वरदराज पेरुमल मंदिर का इतिहास

वरदराज पेरुमल मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में चोल वंश के राजाओं द्वारा कराया गया था। बाद में विजयनगर साम्राज्य और पांड्य राजाओं ने इस मंदिर का विस्तार और पुनर्निर्माण करवाया। यह मंदिर दक्षिण भारत के 108 दिव्य देशमों में से एक माना जाता है, जहाँ भगवान विष्णु ने भक्तों को ‘वर’ देने के लिए दर्शन दिए।

कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान विष्णु ने स्वयं ब्रह्मा जी के यज्ञ के दौरान वरदराज के रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए थे। इसलिए इस स्थान का नाम ‘वरदराज पेरुमल’ पड़ा, जिसका अर्थ है “वह जो वरदान देने वाले हैं।”

मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएं

  • मंदिर का मुख्य गोपुरम (प्रवेश द्वार) लगभग 100 फीट ऊँचा है और अद्भुत शिल्पकला का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • यहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति सोने और रेशम से सुसज्जित रूप में विराजमान है।
  • मंदिर परिसर में 350 से अधिक स्तंभ हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है।
  • यह मंदिर ‘पंचकांची’ तीर्थ यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

वरदराज पेरुमल मंदिर की धार्मिक मान्यता

माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में समृद्धि आती है। जो भक्त ईमानदारी से भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं, उन्हें मनोकामना सिद्धि प्राप्त होती है।

विशेष रूप से, जो लोग करियर, विवाह या संतान से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हों, उन्हें यहाँ पूजा और प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। भगवान वरदराज अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

वरदराज पेरुमल मंदिर दर्शन के लाभ

  • जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति।
  • नकारात्मक ऊर्जा और पाप कर्मों का नाश।
  • परिवार में सुख और शांति का वास।
  • आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति का अनुभव।

पूजा के नियम और क्या करें, क्या न करें

क्या करें:

  • मंदिर में प्रवेश से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु के लिए तुलसी दल और पीले फूल अर्पित करें।
  • प्रातःकाल और सायंकाल की आरती में सम्मिलित हों।

क्या न करें:

  • मंदिर परिसर में ऊँची आवाज़ या विवाद से बचें।
  • पशु बलि या नशे का सेवन वर्जित है।
  • मंदिर के पवित्र सरोवर में बिना अनुमति स्नान न करें।

महत्वपूर्ण तिथियाँ और उत्सव

मंदिर में कई प्रमुख उत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध है ब्रहमोत्सव। यह उत्सव मई-जून के महीनों में आयोजित होता है और 10 दिनों तक चलता है। इसके अलावा वैकुंठ एकादशी और राम नवमी पर भी विशेष पूजा और भव्य आयोजन किए जाते हैं।

FAQs – सामान्य प्रश्न

  • प्रश्न: वरदराज पेरुमल मंदिर कहाँ स्थित है?
    उत्तर: यह मंदिर कांचीपुरम, तमिलनाडु में स्थित है।
  • प्रश्न: मंदिर में दर्शन का सर्वोत्तम समय कौन-सा है?
    उत्तर: प्रातःकाल 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और सायंकाल 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक।
  • प्रश्न: क्या यहाँ पूजा करवाने के लिए कोई विशेष नियम है?
    उत्तर: भक्तों को शुद्ध वस्त्रों में आना चाहिए और श्रद्धा से पूजा करनी चाहिए।

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निष्कर्ष

वरदराज पेरुमल मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं बल्कि आस्था, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र है। यहाँ दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। यदि आप भी अपने जीवन में शुभता और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करना चाहते हैं, तो इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें और Duastro की फ्री कुंडली सेवा से अपने जीवन का ज्योतिषीय मार्गदर्शन प्राप्त करें।

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